आलू की खेती कैसे करे | Potato Farming

Potato Farming In India – आलू की खेती भारत मे केवल दो राज्यों को छोड़कर सभी हिस्सों मे की जा सकती है। वो दो राज्य है केरल और तमिलनाडु इन राज्यों के अलावा आप सम्पूर्ण भारत मे आलू की खेती कर सकते है। अगर आलू की खेती आधुनिक तकनीक व उन्नत बीजों को काम लेकर की जाए तो आप प्रति हेक्टर 150-160 प्रति हेक्टर आलू की पैदावार ले सकते है। भारत मे मुख्य रूप से आलू का उपयोग सब्जी बनाने व चिप्स व अन्य खाद्य उत्पाद बनाने के कारण आलू की मांग हमेशा बनी रहती है। जो किसान आलू की खेती करते है उनको काफी अच्छा मुनाफा भी प्राप्त होता है। आज हम आपको बताएंगे की आप आलू की खेती कैसे करे जिससे आपको कम समय व कम खर्च से अधिक मुनाफा मिल सके। 

आलू की खेती कैसे करे

आलू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु 

यह फसल समशीतोष्ण जलवायु की फसल है। आलू की अच्छी व बढ़िया उपज लेने के लिए जलवायु का आलू की खेती के अनुकूल होना जरूरी है। बहुत से किसानों के मन मे सवाल है आलू की खेती कैसे करे इस खेती को दिन के समय 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रैड तापमान की आवश्यकता होती है, व रात के समय आलू की खेती को 4 से 15 डिग्री सेंटीग्रैड तापमान की आवश्यकता होती है।

आलू की खेती मे आलू के कन्द बनने से पहले अधिक तापमान रहने से पौधे की ग्रोथ अच्छी होती है। लेकिन जब आलू के कन्द बन रहे है उस समय तापमान 30 डिग्री सेंटीग्रैड रहना जरूरी है। अधिक तापमान मे आलू के कन्द बनना रुक जाते है व कन्द बड़े नहीं बनते है।

आलू की खेती के लिए भूमि व मिट्टी की आवश्यकता 

आलू की खेती कैसे करे व आलू की खेती मे किस तरह की भूमि मे की जा सकती है। जिस भूमि का ph मान 6 – 8 का रहता है वह भूमि आलू की खेती के लिए सबसे बढ़िया मानी जाती है। आलू की खेती के लिए बलुई और दोमट मिट्टी जिसका जल निकास बढ़िया हो सबसे सर्वोतम मानी जाती है।

आलू की खेती करने से पहले आपको भूमि की 3 से 4 बार अच्छी तरह जुटाई कर लेनी चाहिए। खेत मे जुटाई करने के बाद जितने भी मिट्टी के ढेले बन जाते है। उनको आपको पाटा लगाकर तोड़ लेना है। आलू की बुवाई से पहले आपको एक बार भूमि मे पलेवा जरूर करना चाहिए। 

खाद व उर्वरक की मात्रा 

आलू की खेती के लिए सबसे बढ़िया खाद पशुओ की सड़ी हुई गोबर खाद मानी जाती है। आपको आलू की बुवाई करने से पहले भूमि मे 15 से 30 टन प्रति हेक्टर गोबर खाद डालनी चाहिए। गोबर खाद फसल की पैदावार बढ़ाने मे काफी मदद करती है।

गोबर खाद मिट्टी मे डालने के बाद आपको खेत की जुटाई कर देनी चाहिए । ताकि खाद मिट्टी मे अच्छी तरह से मिल जाए। आलू की खेती मे भूमि के अनुसार नाइट्रोजन फास्फोरस जिंक सल्फेट भी देना चाहिए। उर्वरकों की मात्रा जानने के लिए आप किसी कृषि विशेषज्ञ की राय ले सकते है।

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उन्नत किस्म के आलू के बीज का चुनाव  

आलू की खेती के लिए जब भी आप बीज का चुनाव करे, तो आपको अच्छी व उन्नत किस्म के ही बीज का चुनाव करना चाहिए । उन्नत किस्म व आलू के बढ़िया बीज रोगमुक्त होते है। इस कारण से आपको खेती की खेती मे होने वाले रोगों का सामना नहीं करना पड़ता है। अगर आप सस्ते के चक्कर मे छोटे माप वाले बीज खरीद लेते है, तो आपको खेती मे बहुत सारे रोगों का सामना करना पड़ेगा व आपकी पैदावार पर इसका सीधा असर पड़ेगा । इसलिए आपको आलू के उन्नत व बढ़िया क्वालिटी के बीजों का ही उपयोग करना चाहिए। 

खेती बुवाई का समय व प्रति हेक्टर बीज मात्रा 

जब भी आप आलू की खेती की बुआई कर रहे है। आपको एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति के बीच दूरी 50 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। और एक आलू के पौधे से दूसरे पौधे के बीच की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर की रखनी चाहिए। आलू की खेती की बुआई के समय की बात करे तो उत्तर भारत के हिस्सों मे आपको आलू की बुवाई आपको इस समय करनी चाहिए। ताकि दिसंबर महीने के अंत तक आलू की फसल पूरी तरह से तैयार हो जाए। व उत्तर पश्चिम के भागों मे आपको आलू की बुआई अक्टूबर महीने के पहले पखवाड़े मे कर देनी चाहिए। व पूर्वी भारत के इलाकों मे आपको आलू की बुआई अक्टूबर महीने के मध्य से लेकर जनवरी महीने तक बुआई कर देनी चाहिए। आलू की खेती मे प्रति हेक्टर बीज की मात्रा 25 से लेकर 30 क्विंटल लगती है।

आलू के बीज की उन्नत किस्मे ?

आलू की अगेती किस्म – अगर आप आलू की अगेती खेती कर रहे है तो आपके लिए जो आगे किस्मे बता रहे है, वो आपके लिए सर्वोतम है। kufri alnkar, kufri pukraj, kufri ashoka, kufri chandrmuki , यह आलू की अगेती खेती के लिए बहुत बढ़िया किस्म मानी जाती है। इन किस्म की आलू की खेती मात्र 80 डी se लेकर 100 दिन मे पककर तैयार हो जाती है।

मध्यम समय मे की जाने वाली आलू की उन्नत किस्मे –

मध्यम समय मे की जाने वाली उन्नत किस्मे निम्न है – kufri bhar, kufri lalima, kufri satluj, kufri sdabhar ये सभी आलू की उन्नत किस्म आलू की मध्यम समय मे की जाने वाली खेती की उन्नत किस्म है। आप किसी भी एक किस्म के बीज को बो सकते है। 

आलू की खेती की सिचाई कब करे ?

इस खेती मे हल्की – हल्की कई सारी सिचाई की जरूरत होती है। आलू की खेती की सिचाई इस तरह से करे की कही भी पानी एक जगह भरा हुआ नहीं रहना चाहिए। आलू की खेती की पहली सिचाई आपको आलू की फसल उग जाने के बाद करनी चाहिए व दूसरी सिचाई आपको पहली सिचाई के 15 दिन बाद मे करनी चाहिए।

जब आलू के कन्द बन रहे है व आलू फूल रहे है उस समय आपको आलू की फसल मे पानी की कमी नहीं आने देनी चाहिए। इससे आपकी आलू की उपज पर प्रभाव पड़ता है, व आलू के कन्द बड़े नहीं बन पाते है। इस समय आपको आलू की सिचाई 10 दिन से 12 दिन के अंतराल मे करते रहना चाहिए।

आलू की खुदाई कब करे

आलू की फसल पहली खुदाई आपको आलू पूरी तरह पकने के बाद ही करनी चाहिए, ताकि आपको आलू बढ़िया व बड़े आकार मे प्राप्त हो। आलू के पूरी तरह पकने की पहचान यह है जब आलू के छिलके सख्त पड़ने लग जाए, तब आप आपको आलू की खुदाई शुरू कर देनी चाहिए।आलू की खेती से प्रति हेक्टर पैदावार की बात करे तो आपको प्रति हेक्टर 300 क्विंटल तक आलू की उपज प्राप्त हो जाती है। 

अगर आपको आलू की खेती कैसे करे की जानकारी अच्छी और फायदेमंद लगी है। तो इस जानकारी क अपने मित्रों के साथ जरूर शेयर करे। आलू की खेती करने को लेकर आपके किसी भी तरह के कोई सवाल है तो आप हमारे को कमेन्ट करके पूछ सकते है। हम आपके सवाल का जल्द ही जवाब देने का प्रयास करेंगे।

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