अनार की उन्नत खेती करने की तकनीक

Anar Ki Kheti Kaise Kare – अनार की उन्नत खेती एक व्यवसायिक खेती है इस कारण से किसान अनार की खेती को व्यवसायिक खेती के तौर पर करता है| अनार की खेती में आप कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते है, अगर आप अनार की खेती लगा लेते है तो आप 15 साल से 20 साल तक अनार की उपज प्राप्त कर सकते है ,अनार में पोष्टिक गुण होने के कारण यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है, अनार की खेती में कम लागत आने के कारण लाभ अच्छी मात्रा में प्राप्त हो जाता है, और अनार की मांग बाज़ार में सालभर बनी रहने के कारण अनार के बाज़ार भाव अच्छे मिल जाते है। हम आपको अनार की उन्नत खेती करने की तकनीक बताएंगे।

अनार की खेती कैसे करे

अनार की खेती के लिए जलवायु की आवश्यकता

यह पौधा उपोष्ण जलवायु वाला पौधा है अनार के फलो को पकने के लिए गर्म व् शुष्क जलवायु चाहिए ऐसे वातावरण में अनार की खेती बढ़िया होती है, अनार के फलो को पकने के लिए 38 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है, अनार का पौधा अगर अधिक समय तक अधिक तापमान में रह जाता है तो अनार के पौधे से प्राप्त अनार अधिक मिठास वाले प्राप्त होते है |

अनार की खेती के लिए मिट्टी

इस खेती को किसी तरह की जमीन में की जा सकती है लेकिन अनार की खेती के लिए सबसे सर्वोतम मिटटी अच्छे जल निकास वाली रेतीली व् दोमट मिट्टी मानी जाती है | अनार के फलो की गुणवता भारी मिटटी वाली जमीन की अपेक्षा हल्की मिट्टी वाली जमीन की बढ़िया होती है | अनार की खेती मध्यम और कलि मिटटी में भी की जा सकती है|

अनार की उन्नत किस्मे

आज के समय में आपको अनार की बहुत सारी उन्नत किस्मे मिल जाएगी जिनसे आप कम समय व् कम लागत में बढ़िया पैदावार प्राप्त कर सकते  है, निचे हम आपको कुछ अनार की उन्नत किस्मो के नाम व् उनसे प्राप्त पैदावार के बारे में बता रहे है।

अनार की गणेश किस्म – यह किस्म अनार की बहुत बढ़िया उन्नत किस्म है, इस किस्म से प्राप्त अनार मझोले आकार के होते है व् अनर की बिज गुलाबी रंग के व् मुलायम होते है,अनार की यह किस्म भी बहुत अधिक खेती में कम में ली जाती है।

ज्योति किस्म – अनार की ज्योति किस्म से प्राप्त अनार के फल चिकनी सतह वाले होने के साथ लाल रंग के होते है बिज मुलायम होने के साथ ही स्वाद वाले व रसभरे होते है।

कांधारी किस्म – अनार की कांधारी किस्म से प्राप्त फल तो बड़े व रस वाले प्राप्त होते है लेकिन इस किस्म की अनार की बीज काफी सख्त प्राप्त होते है।

अनार की खेती करने का समय

अगर आप अनार की खेती कर रहे है तो आपको अनार की खेती के लिए जिस समय को उपयुक्त माना गया है। उसी समय पर अनार की खेती लगानी चाहिए। अनार की खेती करने के लिए उपयुक्त समय अगस्त से सितंबर महीने को माना गया है। व् इसके साथ ही आप फरवरी से मार्च के महीने में भी अनार की खेती कर सकते है। यह समय अनार की खेती के लिए सर्वोतम समय है।

अनार के गड्डा की खुदाई कितनी करे

पौधे को लगाने से 1 महीने पहले ही आपको अनार के गड्डों को खोदकर तैयार कर लेना चाहिए। व खोदे गए गड्डे में आपको पशुओ की सड़ी हुई खाद लगभग 20 किलो मिटटी के साथ मिला लेनी है। व् गड्डे को मिटटी से अच्छी तरह भर देना है।अनार के पौधे की रोपाई से पहले एक बार अच्छी तरह से गड्डे की सिचाई करे ताकि गड्डे की मिटटी जम जाये। इसके बाद अनार के पौधे की रोपाई करके पौधे की सिचाई कर दे।

अनार की सिचाई कब करे

अनार की खेती सुखी खेती है आपको अनार की सिचाई मई की महीने से जब तक मानसून न आ जाये तब तक जरी रखनी चाहिए। अनार की सिचाई गर्मी के मौसम में आपको लगभग 10 से 15 दिन के अन्तराल में कर देनी चाहिए। व् सर्दी के मौसम में आपको अनार की सिचाई 20 से 25 दिन के अन्तराल में कर देनी चाहिए। अनार की खेती के लिए सिचाई हेतु उन्नत व् आधुनिक तकनीक बूंद बूंद सिचाई प्रणाली उतम मानी जाती है। इस प्रणाली से सिचाई करने से पानी की भी बचत होती है, व अनार की पैदावर भी बढ़िया प्राप्त की जा सकती है।

यह भी पढ़े :-

खाद व उर्वरक की मात्रा

अगर अनार का पौधा अगर एक साल का हो गया है। तो आपको अनार के प्रति पौधे में आपको 5 से 6 किलोग्राम तक आपको पशुओ की सड़ी हुई खाद देनी चाहिए। इसके साथ ही आपको अनार के पौधे में हर साल आपको प्रति पौधे के हिसाब से 50 ग्राम यूरिया को 2 बराबर मात्रा में पौधे में डाले। अनार के पौधे में आपको खाद व् उर्वरक की पहली खुराक मार्च महीने में व दूसरी खुराक अप्रैल महीने में देनी चाहिए। जब अनार के पौधे की आयु 5 साल हो जाये तब आपको यूरिया खाद प्रति पौधा 250 ग्राम डालना चाहिए।

पौधे की कटाई व छटाई

अनार के पौधे की अच्छी तरह से समय – समय पर की गई कटाई व छटाई पौधे को जल्दी बड़ा होने व मजबूत होने में मदद करता है। अगर अनार के पौधे की कोई टहनी सुख गई है या रोग से ग्रस्त है तो उस टहनी की काटकर पौधे से अलग कर दे। ऐसा करने से पौधे में रोग कम लगते है।

अनार की खेती मे होने वाली बिमारिया ?

इस खेती में बहुत सारे रोगों व कीटो का हमला होता है आपको अच्छी अनार की पैदावार लेने के लिए पर अनार की खेती में रोग होने की दशा में तुरंत दवाओ व् कीटनाशक के द्वारा उपचार करना चाहिए। आपको हम निचे कुछ अनार में होने वाले रोग व उनके उपचार बता रहे है।

अनार के फल पर धब्बे का पद जाना – अगर अनार की खेती में अनार के फल पर काले रंग के धब्बे पड़ने लग गये है, तो आपको जल्द ही मेनकोजेब दवा को 2 लीटर पानी के साथ मिलाकर अनार के फल व पौधे पर छिडकाव करे।

फल गलन रोग – कही बार अनार की खेती में अनार के फल गलने का रोग हो जाता है, इस रोग के होने पर अनार की खेती व पैदावार पर विपरीत असर पड़ता है। इस रोग के होने की दशा में आपको स्ट्रेप्टो साईंकलीन और कॉपर ओक्सिक्लोराइड दोनों की 400 ग्राम मात्रा को 155 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करे। इस स्प्रे का पहला छिडकाव करने के 15 दिन के बाद आपको दूसरा छिडकाव करना चाहिए।

फल की तुडवाई कब करे

अनार की उन्नत खेती में अनार के पौधे के फल लगने के बाद 5 से लेकर 6 महीने में अनार के फल पूरी से तैयार हो जाते है। अनार के फल जब हरे रंग से पीले रंग के हो जाये तो अनार के फल पकना शुरू हो जाते है। जब अनार के फल पक जाये तो आपको तुरंत ही तुडवाई शुरू कर देनी चाहिए। क्योकि पके हुए अनार के फल तोड़ने में देरी करने से फल में दरारे पड़ना शुरू हो जाती है। इससे फल की क्वालिटी खराब हो जाती है व बाज़ार में भी भाव कम मिलते है। इसलिए आपको अनार के फलो को आपको समय पर तोड़ लेना चाहिए।

अगर आपके अनार की उन्नत खेती करने की तकनीक को लेकर किसी तरह के सवाल है तो आप हमारे को निचे कमेंट करके पूछ सकते है। हम आपके सवाल का जल्द ही जवाब देने का प्रयास करेंगे।

Share Now

Leave a Comment