जीरे की खेती कैसे करे | Jire Ki Kheti

जीरा मसलों के रूप मे काम आने वाली मुख्य फसल है। जीरा का सबसे ज्यादा उत्पादन केवल राजस्थान और गुजरात राज्य मे ही किया जाता है। इस फसल को सब्जी बनाने के लिए मसलों के लिए उपयोग किए जाने के लिए इसकी मांग साल भर बनी रहती है। मांग अधिक रहने के कारण जो किसान जीरे की फसल को उगते है उनको बाजार मे फसल के भाव भी अच्छे मिल जाते है। आज हम आपको जीरे की खेती कैसे करे पूरी जानकारी देंगे, की जीरे की फसल को उगने के लिए कौन – कौनसी सावधानी रखनी चाहिए। व खाद बीज, Jire Ki Kheti की सिचाई की पूरी जानकारी देंगे।

जीरे की खेती कैसे करे

भूमि की तैयारी

जीरे की खेती करने के लिए सबसे पहले आपको खेत की जुताई करनी चाहिए। इसके बाद आपको मिट्टी के ढेले को हटाने के लिए हल चलाना चाहिए। ताकि मिट्टी पूरी तरह से समतल हो सके। जीरे की फसल के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी दोमट व बलुई मिट्टी मानी गई है, इस तरह की मिट्टी मे जीरे को लगाने से अच्छी पैदावार ले सकते है। मिट्टी बढ़िया जल निकास वाली होनी चाहिए।

बुवाई का उचित समय व तापमान

इस फसल को आपको सही समय व फसल के उचित तापमान होने पर ही बौना चाहिए। खेती की बुवाई के लिए उपयुक्त तापमान 24 डिग्री से 28 डिग्री सेन्टीग्रैड माना गया है। जीरे के पौधे की अच्छी ग्रोथ के लिए तापमान 20 डिग्री से 25 डिग्री सेन्टीग्रैड रहता है। जीरे की खेती करने का सही समय नवंबर महिना के शुरुआती दिन से महीने के अंत का समय माना गया है। आपको नवंबर महीने मे जीरे की बुवाई कर देनी चाहिए।

जीरे की बुवाई करने की विधि

इस फसल की बुवाई लगभग सभी किसान बीज का छिड़काव करके करते है। अगर आप जीरे की बुवाई कल्टीवेटर के द्वारा करते है तो इससे आपको उपज मे कुछ फायदा मिलता है। कल्टीवेटर से बुवाई करने के लिए आपको 30 सेंटीमीटर के गेप देकर क्यारिया बनाकर उनमे बुवाई करनी पड़ती है। बीज की मात्रा की बात करे तो प्रति हैक्टेयर 12 किलोग्राम बीज को पर्याप्त माना गया है। बीज की बुवाई करते समय ध्यान रखे बीज को जमीन मे 1.5 सेंटीमीटर से अधिक गहराई पर न बोये।

जीरे की खेती मे खाद व उर्वरक

जीरे की खेती करने से पहले आपको मिट्टी की जांच कर लेनी चाहिए। ताकि आप मिट्टी के अनुसार भूमि मे खाद व उर्वरक दे सके। जानकारों के अनुसार इस खेती मे आपको बुवाई से पहले सड़ी हुई गोबर की 5 टन खाद जमीन मे मिला देनी चाहिए। व जीरे की बुवाई के समय 60 – 65 किलोग्राम तक 10 किलोग्राम तक यूरिया मिलाना चाहिए। फसल की पहली सिचाई के समय 33 किलोग्राम तक यूरिया खाद प्रति हैक्टेयर के हिसाब से छिड़काव कर दे।

सिचाई का समय

पहली सिचाई आपको इस खेती मे जीरे की बुवाई के तुरंत बाद कर देनी चाहिए। पहली सिचाई के समय इस बात पर जरूर ध्यान जल का बहाव धीरे रखे नहीं तो जीरे का बीज बहकर एक जगह हो जाएगा। जीरे की खेती कैसे करे इस खेती मे आपको दूसरी सिचाई 6 से 7 दिन के बाद करनी चाहिए। दूसरी सिचाई करने से बीज का अंकुरण बढ़िया होता है व मिट्टी की पपड़ी हल्की नमी हो जाती है। इसके बाद आपको फिर 6 से 7 दिन बाद सिचाई और कर देनी है। जब जीरे की फसल के दाने पक रहे है उस समय आपको फसल की सिचाई नहीं करनी चाहिए। इससे जीरे का बीज हल्का बन जाता है।

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खरपतवार का नियंत्रण

जीरे की खेती मे सबसे ज्यादा खरपतवार होने की समस्या रहती है। इस फसल मे जीरा के पौधे तो धीरे – धीरे बढ़े होते है लेकिन खरपतवार बहुत तेजी से बढ़ती है। इस लिए आपको खरपतवार नियंत्रण पर अधिक ध्यान देना चाहिए। खरपतवार के नियंत्रण के लिए आपको जीरे की बुवाई के समय 2 से 3 दिन तक स्टोम्प नाम की खरपतवार नाशक का पानी मे मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। और जब फसल लगभग 1 महीने की हो जाए तब आपको फसल की अच्छी तरह से गुड़ाई कर देनी चाहिए।

जीरे की खेती मे होने वाले प्रमुख रोग

आपको अन्य खेती की तरह ही जीरे की खेती मे अनेक तरह के रोग देखने को मिलते है। हम आपको कुछ होने वाले रोगों के बारे मे बता रहे है। जीरे की खेती कैसे करे व इस खेती मे होने वाले रोगों के उपचार व सावधानी की जानकारी निचे हम आपको बता रहे है –

  • जीरे की खेती मे हमेशा फसल चक्र को अपनाइए, क्योंकि जीरे की खेती को लगातार 3 साल तक करने से इस फसल मे उखटा रोग  हो जाता है।
  • झुलसा रोग – जीरे की खेती मे झुलसा रोग का हमला अक्सर देखा जाता है। इस रोग के होने पर जीरे की फसल की बढ़वार आना बंद हो जाती है। और जीरे के पौधे की पत्तिया मुरझाने लग जाती है।
  • एफीड रोग का होना – इस खेती मे यह रोग होने पर आपको जल्दी ही इसकी रोकथाम करनी चाहिए। क्योंकि इस रोग के होने पर किट पौधे के कोमल भागों के रस को चूसते है। जिससे पौधे मुरझाने लग जाते है। एसीफेट का इस रोग के रोकथाम के लिए छिड़काव करना चाहिए।

जीरे की कटाई कब करे

जीरे की कटाई का सही समय की पहचान यही है की जब जीरे के पौधों का रंग भूरा दिखने लग जाए तब आपको जीरे की कटाई शुरू कर देनी चाहिए। क्योंकि इस समय जीरे की फसल पूरी तरह पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। जीरे की फसल की कटाई करने के बाद आपको अच्छी तरह से सूखा लेना है। फसल पूरी तरह सूखने के बाद ही आपको जीरे को मशीन की सहायता से निकलवाना चाहिए।

जीरे की खेती से प्रति हैक्टेयर पैदावार

आधुनिक व उन्नत तकनीक से की गई जीरे की खेती से आप प्रति हैक्टेयर जीरे की पैदावार 7 से 8 क्विंटल तक ले सकते है। अगर हम इस खेती में खर्चे के बात करे, तो एक हैक्टेयर में जीरे की खेती लगाने में 30 से 35 हजार रूपये तक खर्च आ जाता है। जीरे की खेती कैसे करे वही अगर बाज़ार में अगर जीरे का भाव 100 रूपये किलोग्राम तक चल रहे है, तो आप 41 हजार रूपये से 45 हजार रूपये तक का एक हैक्टेयर से लाभ कमा सकते है।

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